बिछड़ी रूहें 12 घंटे बाद फिर मिली — पति का पत्नी के बिना जीने से इनकार

Saima Siddiqui
Saima Siddiqui

उत्तर प्रदेश के झांसी से एक ऐसी इमोशनल स्टोरी सामने आई है, जिसने हर किसी की आंखें नम कर दीं। 76 वर्षीय रामरतन गुप्ता और उनकी 70 वर्षीय पत्नी रामदेवी गुप्ता ने साथ-साथ 56 साल तक जिंदगी गुज़ारी, और आखिरी सांसें भी एक-दूसरे की जुदाई में ही लीं।

शनिवार सुबह टूटा पहला पहर: रामदेवी ने ली अंतिम सांस

4 अक्टूबर की सुबह, झांसी के गरौठा थाना क्षेत्र स्थित इन्द्रानगर कॉलोनी में रह रही रामदेवी गुप्ता ने बीमारी के चलते दम तोड़ दिया। परिवार में शोक की लहर दौड़ गई। उनकी तबीयत कुछ दिनों से खराब थी, लेकिन किसी ने सोचा नहीं था कि वे इतनी जल्दी चली जाएंगी।

“रामदेवी के बिना सब सूना है” — 12 घंटे में पति ने भी त्याग दिए प्राण

पत्नी की अंतिम यात्रा की तैयारी हो रही थी, रिश्तेदार घर पहुंचने लगे थे। इसी बीच, रामरतन गुप्ता जो एक मजबूत व्यापारी रहे हैं, अंदर से पूरी तरह टूट चुके थे। शाम तक जैसे मन ने शरीर को छोड़ा और उन्होंने भी प्राण त्याग दिए। यह किसी फिल्म की कहानी नहीं, हकीकत है, जिसे झांसी वालों ने खुद देखा।

जब एक साथ उठी दोनों की अर्थी — हर आंख हो गई नम

रामदेवी और रामरतन की अर्थी एक साथ उठी। बेटे धमेन्द्र, अरविंद और उपेन्द्र गुप्ता ने अपने माता-पिता को एक साथ मुखाग्नि दी। पूरे गांव और मोहल्ले में गहरा सन्नाटा छा गया। कोई कह रहा था, “इससे बड़ा प्यार कोई नहीं, जो साथ जीए और साथ चला जाए।”

परिवार में कोहराम, गांव में श्रद्धा

12 घंटे में दो-दो अर्थियां उठना किसी भी परिवार के लिए असहनीय होता है। लेकिन इस दुःख में भी एक सुकून छिपा था — कि मां-बाप साथ हैं। गांववालों ने कहा:

“रामरतन जी और रामदेवी जी जैसे पति-पत्नी आज के जमाने में विरले ही होते हैं। उनका प्यार अमर है।”

ये कहानी नहीं, सबक है

जहां आज के रिश्ते व्हाट्सएप स्टेटस और इंस्टा रील्स में सिमट रहे हैं, वहीं रामरतन और रामदेवी की कहानी “वचन निभाने” की मिसाल बनकर उभरी है। जीवनभर साथ निभाया, और अंत में भी जुदा नहीं हुए।

जब तक लद्दाख हिंसा की निष्पक्ष जांच नहीं होती, जेल में ही रहूंगा

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